Thursday, December 11, 2008

अब लीख सकूं तो जानूं

और करना भी क्या है। जीतना ढूँढ रहे हैं, उतना देख सुन रहे हैं, और बाकी क्या। बस लीखो और बाटों उनकी ख़बर और देखते जाओ की अनेकता एक जगह कैसे अपने लीये साँस भरने का कवायद करता है ।